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विविध
घोड़े से गिरा कोई चोट लगी किसी को स्रोत        यू.एन.एन.
स्‍्थान       शिमला
जुड़वां बच्चे भी मनोविज्ञान के आचार्यो के लिए एक समस्या ही रही है! उनके जीवन में कितनी ही बातें देखी जाती हैं, जिनका रहस्य अभी तक मालूम नहीं हो सका है! साधारणतः जुड़वां बच्चों को दो वर्गो में विभक्त किया जा सकता है, पहले वर्ग में वे बच्चे आते हैं, जिनकी सारी बातें परस्पर मिलती हैं और चेहरे की बनावट से लगातार रंग, कद, बोली और चाल-ढाल, किसी बात में कुछ भी अन्तर नहीं रहता! इस तरह के जुड़वां बच्चे वास्तव में एक ही गर्भकीट- के दो खण्ड होते हैं! दूसरे वर्ग के जुड़वां बच्चे उसी तरह एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं, जैसे साधारणतः एक ही माता की सन्तान एक दूसरे से मिलती-जुलती है।ऐसे बच्चे एक ही समय में दो गर्भकीटों के अलग-अलग बढ़नें का परिणाम होते हैं।

पेरिस में एक स्त्री को यक्ष्मा हो गया! परीक्षा करने पर डाक्टर को मालूम हुआ कि उसके बायें फेफड़े के सिर पर असर पड़ चुका है। डाक्टरों ने स्त्री से पारिवारिक स्वास्थ्य के सम्बन्ध में प्रश्न किये। स्त्री अपने सभी कुटुम्बियों के विषय में सन्तोषजनक उनर दे सकी, परन्तु अपनी एक जुड़वां बहिन के विषय में नहीं, जिसे उसने 7 वर्ष से नहीं देखा था स्त्री की इस बहिन की स्वास्थ्य- परीक्षा के लिए व्यवस्था की गई और डाक्टरों को यह पाकर आश्चर्य हुआ कि यक्ष्मा की बीमारी स्त्री की बहिन को भी लग चुकी है और उसके भी बायें फेफडे+ के सिर पर असर पड़ चुका है- यद्यपि प्रारम्भिक अवस्था में होने के कारण स्वयं उसे पता नहीं था। यह तो आशंका ही नही की जाती कि एक की बीमारी दूसरे को लग गयी होगी, क्योंकि दोनों बहिनें 7 साल से एक-दूसरे से मिली नहीं थीं और कुटुम्ब के अन्य सभी व्यक्ति स्वस्थ थे।

अनेक बार एक ही गर्भ-कीट के जुड़वां बच्चों में यह देखा जाता है कि उनमें से किसी एक को जब कोई तकलीफ होती है, तब दूसरे को भी वही शिकायत हो जाती है! ऐसे जुड़वां बच्चों को दूर-दूर रहने पर भी न्युमानिया, कर्णमूल, लाल बुखार आदि, से एक ही समय में पीड़ित होते देखा गया है। अक्सर जब एक को दांत की कोई शिकायत होती है, तब दूसरा भी उसी शिकायत के दुःख पाते देखा गया है! यह भी देखा जाता है कि एक का जो दांत हिलने लगता है, वहीं दूसरे का भी उखड़नें से पहले हिल उठता है! जो दांत एक का खराब होता है वही दूसरे का भी हो जाता है।

बर्लिन में एक युवती रक्त की कमी से पीड़ित हुई। जब पता चला, डाक्टर ने पाया कि उसकी बहिन भी उसी बीमारी की शिकार हो रही है और ओैषधि सेवन करने से जब उसकी बहिन को आराम होता है, तब स्वयं उसे आशातीत लाभ होने लगता है।

कई वर्ष पहले की बात है, लन्स में एक सैनिक घोड़े पर से गिर पड़ा और मूर्छित हो गया। आधे घण्टे में उसकी मूर्छा दूर हो गयी। उसके जरा भी कहीं चोट नहीं आयी थी। इस घटना के एक सप्ताह बाद सैनिक पागल होने जैसे लक्षण दिखलाने लगा और उसे पागलखाने भेज दिया गया। यह मान लिया गया कि गिरने की दुर्घटना के कारण ही वह पागल हो गया; परन्तु बाद में यह पता चला कि उस सैनिक के एक जुड़वां भाई है और वह भी उसी समय से पागल हो गया- यद्यपि वह कहीं गिरा नहीं था। परिक्षण से यह भी मालूम हुआ कि पागलपन का दुर्घटना के साथ कुछ भी सम्बंध नहीं था। पागल हो जाने के परमाणु दोनों भाइयों में पहले से ही थे और दोनों में वे एक साथ ही प्रकट हो गये।

अमेरिका में एक गरीब मजदूर के जुड़वां लड़के पैदा हुए। जब ये बच्चे दो वर्ष के थे, उन्हें दो परिवारों ने गोद ले लिया। एक साधारण दर्जे का मजदूर परिवार था। दूसरा परिवार दूर एक अन्य नगर में रहता था और उसकी आर्थिक अवस्था भी अच्छी थी, परन्तु यह आश्चर्य की बात है कि परिस्थिति भिन्न होने पर भी दोनों ने चोरी करने का ही रास्ता पकड़ा। दोनों के चोरी करने का तरीका एक सा था और दोनों ही दुकानों में से कोई अन्य चीज न चुराकर कपड़े ही चुराया करते थे। जुड़वां भाइयों में अच्छी हो या बुरी, एक ही तरह की प्रवृति आमतौर पर देखने में आती है।

कुछ अपवाद छोड़कर जुड़वां भाइयों और बहिनों की मनोवैज्ञानिक परीक्षा बड़े अच्छे ढंग से की जा सकती है। किसी कागज पर स्याही-की एक बून्द गिराकर कागज को मोड़ दीजिये और फिर जहां स्याही की बून्द पड़ी हुई हो, वहां दबा दीजिये। अब जो धब्बा कागज पर दूसरी जगह पर पड़ जायगा, उसे उन सब व्यक्तियों को; जिनकी जांच करनी है, दिखाकर पूछिये कि यह धब्बा उन्हें कैसा लगता है। अन्य व्यक्तियों का उनर अलग-अलग होगा। कोई उसे चिड़िया जैसा कहेगा, तो कोई उसे घोड़े जैसा और कोई किसी अन्य तरह का; परन्तु जुड़वां भाईयों और बहिनों का उनर एक ही होगा। बात यह है कि स्याही के धब्बे से उनके मस्तिष्क में एक ही प्रकार के चित्र का भाव उत्पन्न होता है।

(यू.एन.एन.)