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विविध
प्राचीन युग में जहरीली गैस स्रोत        यू.एन.एन.
स्‍्थान       शिमला
यूनानी इतिहास-लेखक थूसीडाइडीज ने लिखा है कि ईस्वी सन्‌ से 470 वर्ष पहले लेसेडेमोनियनों ने मेगारा के घेरे के समय यह प्रयत्न किया था कि नगर को धुएं से जीत लिया जाय! उसके लिए उन्होंने नगर की खाई में गन्धक और राल से सने हुए लक्कड़ डाले और उनमें आग लगा दी! उन्होंने सोचा था कि गन्धक और राल का धुआं जब नगर में भर जाएगा, नागरिकों का दम घुटने लगेगा और वे आत्मसमर्पण कर देंगे परन्तु परिणाम बिलकुल उलटा हुआ! लक्कड़ों में जब आग लगा दी गयी, हवा का रुख बदल गया, जिससे उल्टा उन्हीं का दम घुटने लगा और घेरा छोड़कर उसी समय प्राण लेकर भाग जाना पड़ा परन्तु इससे वे हताश नहीं हुए! इस्वी सन्‌ से 428 वर्ष पहले प्लाटिया के घेरे के समय उन्होंनें सफलतापूर्वक फिर इसी उपाय से काम लिया। अवश्य ही उन्हें यह पता नहीं था कि केवल धुएं नहीं कार्बन मोनोक्साइड के कारण ही वैसा हुआ है। इसका पता लोगों को मध्य काल तक नहीं था, वैसे इस उपाय से वे काम लिया करते थे। वे गन्धक और राल को मिलाते थे। यह मिश्रण पानी पर भी जल सकता था, इसे उन दिनों ÷युनानी आग' कहा जाता था। रोमन और वेजेण्टाइन साम्राज्यों के समय में भी इस यूनानी आग से काम लिया जाता था।

चौदहवीं शताब्दी में अरब इतिहासकार अब्राहम ने शत्रु को अक्षम कर देनें के लिए सर्व-प्रथम अफीम के जहरीले धुएं का उपयोग करने का मत प्रकट किया! बर्लिन की आर्सेनल लाइब्रेरी में एक किताब है, जिसे सन्‌ 1836 इस्वी में लिखा गया था और जिसमें हरताल और गन्धक से जहरीले गोले बनाने की विधि बतलायी गयी है!

यह पता चल ही गया कि कुछ गैसें हवा से भी हल्की होती हैं, सत्राहवीं शताब्दी के मध्य में लिथुआनिया के सीमेनोक्जिक ने यह आविष्कार किया कि घास जलाकर उसके धुएं से यदि इन गैसों को बजनदार कर दिया जाये, तो वातावरण को जहरीला बनाया जा सकेगा और लोग अपने आप मर जायंगे।

युद्ध में जहरीली गैस से काम लिये जाने के इतिहास का यह प्रथम अध्याय हुआ। लन्स की वन्ति के समय लन्सीसी रसायन शास्त्रिायों ने कई प्रयोग किये और एक अंग्रेज रासायनिक ने जहरीला गोला बनाने की तरकीब बतलाने का प्रस्ताव नेपोलियन से किया परन्तु नेपोलियन ने इन्कार कर दिया। उन्नसवीं शताब्दी में जहरीली गैस सम्बन्धी कितने ही आविष्कार हुए, परन्तु विभिन्न राष्टᆭों की कानफ्रेैन्स में हेग में जहरीली गैसों से काम न लिये जाने का निश्चय हुआ। अलबना, आंसु-गैस का उपयोग किया जा सकता था, क्योंकि उससे स्थायी क्षति नहीं होती।

अक्टूबर 1914 में जर्मनों ने लेन्स स्थान में जहरीली गैस से काम लिया, परन्तु वह जोरदार नहीं थी और कुछ परीक्षणों के बाद उससे काम लिया जाना बन्द कर दिया गया! मित्र शक्तियों ने भी बदला लिया; परन्तु सफलता नहीं मिली मित्र शक्तियों को सफलता मिली फरवरी 1916 में जब फोसजेन के 74 मिली मीटर के गोलों का उपयोग किया गया। विश्वयुद्ध में जर्मनों ने 7411 हजार टन जहरीली गैस से काम लिया। लन्स के 6 लाख 7 हजार सैनिक गैस से पीड़ित हुए थे और अमेरिका की 27 प्रतिशत सेना जहरीली गैस से नष्ट हो गई थी।

इटली और अबीसीनिया के युद्ध में इटालियनों ने जहरीली गैस से काम लिया था।