विविध |
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पैसे की गर्मी का असर |
विजय चन्द्र अग्रवाल |
हिल-हिल उठती थी। किसी भी कलाकार के लिए वह कला की सचेष्ट प्रतिमा थी जिसके गत इतिहास के प्रत्येक
शब्द पर साहित्य और समाज का निर्माण किया जा सकता था। उसके फैले हुए हाथ पर घण्टों की प्रतीक्षा |
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मांस खाने वाले पौधे |
मांसभक्षी पौधों की पाचन क्रिया भी लगभग अन्य प्राणियों की अमाशय क्रिया सी ही होती है।
मांसभक्षी पौधे अपने शिकार के कोमल ऊतकों को एक पोषक तत्व में बदल देते हैं। इस क्रिया से उन्हें नाईट्रोजन के अतिरिक |
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पुण्य कर्म का फल |
डॉ. श्यामा वर्मा |
बालक ने फिर कहा, 'तूने दूसरी रोटी बनाई और दूसरे भाई को दी। वह बूढ़ा फिर पहुंचा और बोलने लगा,
'मैं भूखा हूं, मुझे रोटी दो।' भाई ने कहा, 'हे! तुझे र |
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वर्ण भेद विवाद |
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वर्ण-भेद रूपी दुर्ग की रक्षा के लिये कुछ लोग जीवतत्व विज्ञान की खाई तैयार किये बैठे हैं। वे कहते हैं कि वर्ण भेद का उद्देश्य रक्त की पवित्रता और वंश की विशुद्धता को बनाए रखना था। |
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पानी के लिये जब रानी ने जान दे दी |
रमेश जसरोटिया |
रानी के बलिदान के पश्चात् राजा बहुत परेशान रहने लगा। रानी की याद उसे पागल किये रहती। एक रात राजा को सपने
में रानी दिखाई दी। उसने राजा को दुखी न होने की बात कही और सांत्वना देते कहा कि वह प्रतिवर्ष चैत्र माह |
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चलता-पुर्जा |
डॉ0 धनीराम प्रेम |
बुलन्दशहर जिले में राजघाट नामक एक छोटा सा कस्बा है। छोटा होने पर भी इसे आसपास बड़ा महत्त्व दिया जाता है,
क्योंकि यह गंगा किनारे बसा हुआ है। स्थान रमणीक है। प्रति पूर्णिमा को मेला लगने |
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वहां मौत पर मनाया जाता है जश्न |
चन्द्रशेखर |
सैंकड़ों आदमी रंग-बिरंगी पोशाकों में जा रहे हैं, युवतियों की रंग-बिरंगी पोशाक के ऊपर से आभूषण चमक रहे हैं,
केशों में सुन्दर फूलों के गुच्छे गुंथे हुए हैं, बाजे बज रहे हैं, खासकर मृदंग की ध्वनि संगीत |
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