धर्म-संस्कृति
 
श्री तारादेवी मन्दिर का इतिहास
हीरा लाल शर्मा
मैं दश महाविद्याओं में से एक महाविद्या हूँ।'' इस आवाज को सुनकर राजा आश्यर्चचकित हो गए और हने लगे- ''हे माता! यदि यह आवाज वास्तव में आपकी ही है, तो साक्षात्‌ रूप में प्रकट होकर दर्शन देकर कृतार्थ करो।''
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भगवती छिन्नमस्ता धाम चिन्तपूर्णी
 
अखिल ब्रह्माण्ड जिस अलौकिक तत्व के बल पर गतिमान है, वही तत्व शक्ति तत्व कहलाता है। जिस प्रकार चांदनी के बिना चांद और उष्णता के बिना आग का कोई अस्तित्व नहीं है, उसी प्रकार बिना शक्ति के शक्तिमान का अस्तित्व शून्य है।
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श्रीबज्रेश्वरी नगरकोट कांगड़ा
 
महाभारत काल के त्रिगर्त नरेश सुशर्मन का सुशर्मपुर यहां के अजेय दुर्ग की प्रसिद्धि के कारण बाद में नगरकोट कहलाया। कोट शब्द दुर्ग या किला का अर्थ देता है और नगर से तात्पर्य यहां सुख-सुविध सम्पन्न शहर से
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दिव्य ज्योति है ज्योतिष
राजेन्द्र भट्ट
ज्योतिष का अध्ययन पंचांग से प्रारम्भ होता है। पंचांग का अर्थ है 'पंच+अंग' का ज्ञान। ये पांच अंग क्रमश तिथि, वार, नक्षत्र योग और करण है। तिथि के आधे भाग को करण कहा जाता है। विष्टि करण को 'भद्रा' भी कहते है। पंचाग में तिथि, वार,
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शिमला संकटमोचन मन्दिर के निर्माता नीम करोरी बाबा
चक्रधर उप्रेती
'बाबा' सदा अपनी महानता छिपाये रहे और सदा आडम्बर रहित सामान्य पुरुष के रूप में जन समुदाय के बीच लोक कल्याण कार्य करते रहे।
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अचंभित अकल्पनीय पाताल भुवनेश्‍वर गुफ़ा
चक्रधर उप्रेती
अगर उपरोक्त वर्णन शायद किसी तिलस्मी कहानी का मनघड़न्त हिस्सा लगे तो उठाएं भारत का प्राचीन स्कन्द पुराण ग्रन्थ और टटोलिये मानस खण्ड के 103वें अध्याय के 273 से 288 तक के श्लोकों को, आपकी
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