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कविता
याद स्रोत        यू.एन.एन.
स्‍्थान       शिमला
लेखक        डा. केशव शर्मा
लौटकर आपकी याद आने लगी,
दिल की बगिया पुन: मुस्कुराने लगी.

आप आएंगे स्वप्नों में जब ये सुना,
शुष्क धरती मेरी लहलहाने लगी.

याद आने लगा है वो बीता समय,
सांस इक इक तेरा नाम गाने लगी.

देखिये मेरे दिल को ये क्या हो गया,
जबसे ठंडी हवा वां से आने लगी.

आपने हौले से मुझको छू क्या लिया,
हर कली ज़ोर से खिलखिलाने लगी.

आपकी याद के सुरमई साये में,
दिल की पीडा पुन: कसमसाने लगी.

देखिये हर तरफ़ हैं बहारें यहां
आपकी इक कमी कुनमुनाने लगी.

याद आती रही नयन झरते रहे,
आंख की रौशनी टिमटिमाने लगी.

अब तो आओ सही कुछ भरोसा नहीं,
जाने की ख्वाहिशें ज़ोर खाने लगी.

(यू.एन.एन.)