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स्वास्थ्य
आम और स्वास्थ्य स्रोत        यू.एन.एन.
स्‍्थान       शिमला
लेखक       गंगा प्रसाद गौड़
यह तो जगत्‌ प्रसिद्ध है कि संसार भर में आम मुख्य रुप में केवल भारतवर्ष में ही पाया जाता है, और यह भारत का सर्वोत्तम मेवा है। अमेरिका के अग्रण्य डाक्टर विलसन ने बड़े जोरदार शब्दों में स्वीकार किया है कि आम में मक्खन से सौ गुना अधिक पोषक तत्त्व विद्यमान हैं। उन्होंने परीक्षा करके यह भी सिद्ध किया है कि आम के उचित प्रयोग से शरीर के स्नायविक जाल को शक्ति मिलती है, शुद्ध रक्त बुहतायत से उत्पन्न होता है, और शौर्य-वीर्य की वृद्धि होती है।

आम में पाये जाने वाले पोषक तत्त्वों के सम्बन्ध में एक विज्ञप्ति निकली थी, जिसमें बताया गया था कि आम में 'ए', 'सी' और 'डी' विटामिन्स (पोषक तत्त्व) अत्याधिक पाये जाते हैं। विटामिन 'ए' बाहरी विष एवं रोग-कीटाणुओं के प्रभाव को रोकने वाल है, विटामिन 'सी' समस्त चर्म-रोग नाशक है तथा विटामिन 'डी' दांतों और शरीर की समस्त हड्डियों को मजबूत बनाता है।

कितना भी आम कोई क्यों न खाये हो, यदि वह दो तीन जामुन उसके बाद खा ले, तो वह खाया हुआ आम सब-का-सब जल्द हजम हो जाता है। यदि जामुन न मिले, तो सोंठ और नमक पीसकर चुटकी भर खा लें, खाये हुए आम का कहीं पता भी न चलेगा। पके आम और विशेष कर बीजू, बड़े पौष्टिक तथा बलवर्धक होते हैं, इन्हें दूध के साथ खाने से, इनके ये गुण और भी बढ़ जाते हैं। आम में इतने पौष्टिक तत्त्व विद्यमान हैं कि केवल इनको ही खाकर, मनुष्य बहुत समय तक स्वस्थ रह सकता है। पके आम खाने से मेदा साफ हो जाता है। जिनको कोष्ठ-बद्धता की शिकायत रहती हो, या शौच साफ न होता हो, उनके लिए आम पथ्यकर है। आमाश्य सम्बन्धी रोगों में पके हुए आमों का सेवन अधिक लाभदायक सिद्ध होता है। अनिद्रा रोग की भी यह अचूक औषधि है। थोड़े से मीठे बीजू आम खा करके, ऊपर से कुनकुना दूध पी लीजिए, नींद बिना बुलाये, आप से आप आ जायेगी। 'भावप्रकाश' में लिखा है कि आम से नया खून पैदा होता है, और तपेदिक के मरीजों के लिए यह रामबाण औषधी है।

नीचे कुछ परीक्षित आम के प्रयोग दिये जाते हैं, जो अत्यन्त लाभकारी हैं :-

1. दो-तीन कच्चे आम शाम को भून लें और रात-भर किसी खुली जगह में पड़ा रहने दें। सवेरे जलपान के समय, उन्हें मसलकर शरबत बना लें और एक चुटकी भूना हुआ जीरा, जरा सा सेंधा नमक और मिर्च डालकर पी जायें। इससे गर्मियों में लू कभी न असर करेगी, अनावश्यक प्यास न लगेगी और दिन-भर तबीयत में ताजगी बनी रहेगी।

2. राजयक्ष्मा रोग में, किसी पत्थर या तामचीन के पात्र में ताजे, मीठे या रसपूर्ण आमों का रस 15-20 तोले भर निचोड़ें, उसमें छोटी मक्खियों का शहद 6 तोला मिला कर प्रातः-सांय सेवन करें तथा दिन-रात में 2-3 बार गाय या बकरी का धारोष्ण दूध मिश्री डालकर पीयें। पानी के बजाय यदि दूध का ही सेवन किया जाये, तो अति उत्तम है। इस प्रकार .....21 दिन प्रयोग करने से राजयक्ष्मा जैसे असाध्य रोग का रोगी भी स्वास्थ्य लाभ कर सकता है।

3. संग्रहणी या अन्य पेट-सम्बन्धी रोगों में, प्रातःकाल 9 बजे, दो बड़े पके हुए आमों के छिलके छील और उनके छोटे-छोटे टुकड़े कर एक कलईदार कटोरे में रख दें। बाद में उस कटोरे में उबालकर ठण्डा किया हुआ दूध डालें, जिससे आम के टुकड़े डूब जायें। फिर उन आम के टुकड़ों को चम्मच से खाकर वही दूध ऊपर से पी लें। प्रातः काल इस प्रकार आम खा लेने के बाद फिर दिनभर तीन-तीन घण्टे पर तीन-तीन छटांक दूध पीना चाहिए। इस बात का खूब ध्यान रखना चाहिए कि आम और दूध के सिवा और कोई चीज खायी पी न जाये। जब दस्तों की संख्या में कमी आ जाये, तो मरीज को दो आम दोपहर के समय उसी प्रकार दूध के साथ देना चाहिए। दो सप्ताह तक इसी तरह से विधिवत्‌ आम का सेवन करते रहने से संग्रहणी का रोग पूरे तौर से दूर हो जाता है।
(यू.एन.एन.)