लेख
 
कौन नहीं चाहता आजादी
जगन्नाथ प्रसाद मिश्र
उनके दान, उनके नाम-सुग्रश को देख-सुनकर भूलना नहीं, धोखे में नहीं आना। वे पंडित होते हुए भी मूर्ख हैं, धर्म-भीरू होते हुए भी कापुरुष हैं, परोपकारी होते हुए भी नाम-यश के लोलुप हैं और दानी होते हुए भी हृदय से कृपण हैं। उनकी
विस्‍तार से .....
चंगेज खां - उसे लाशें देखकर मिलती थी खुशी
डॉ.हेमचंद्र जोशी
वहीं ढेर हो गया और आप वहां से भागा। कुछ ही देर में उसकी खोज होने लगी और कुछ घुड़सवार देखते क्या हैं कि वह मयशिकंजे के नदी में तैर रहा है। एक उसके पास पहुंचा और न मालूम क्या जादू हुआ कि उसने उसे
विस्‍तार से .....
 
चम्बा का संक्षिप्त इतिहास (1)
 
रावी घाटी के निचले हिस्सों पर विजय प्राप्त की तथा विजय के उपरांत उसने ब्रह्मपुर के स्थान पर ÷चम्पा' अथवा चम्बा को नयी राजधानी बनाया। अनेक सदियों तक चम्बा राज्य कश्मीर का आधिपत्य स्वीकार करता रहा है तथा ऐसा माना जाता है
विस्‍तार से .....
चम्बा का संक्षिप्त इतिहास (2)
 
चम्बा सहित अनेक अन्य पहाड़ी रियासतें किसी न किसी रूप में आगामी करीब दो शताब्दियों तक मुग़लों का आधिपत्य स्वीकार करती रहीं तथा इस अवधि में इन रियासतों में समय-समय पर परस्पर संघर्ष भी होता रहा।
विस्‍तार से .....
 
नारी के आत्म-विकास में बाधक प्रवृति
चन्द्रशेखर
भारतीय समाज में कोई नारी जब कभी सम्बोधित की जाती है तो अमुक की पत्नी, अमुक की माता आदि के रूप में ही। कुमारी आशा का अपना कोई पृथक अस्तित्व नहीं है। वे होश संभालते ही, यह सम्भव है इसके पहले भी
विस्‍तार से .....
क्या संस्कृत में दुःखात नाटकों का अभाव है?
गिरिजादन त्रिपाठी
साहित्य में अवश्य दुःखान्त नाटक हैं। जैसे, वेणीसंहार नाटक में दुर्योधन के अनेक भाईयों की मौत हो जाती है और इसलिए उसे घोर कष्ट होता है। जब सुन्दरक के मुख से अर्जुन की तारीफ तथा कर्ण वृषसेन की पराजय सुनाता है, तो उसे अपार दुःख होता है।
विस्‍तार से .....
 
आखिर चैत्र मास का सांस्कृतिक महत्त्व क्या है
प्रो. नरेन्द्र अरुण
राजाओं एवं राणाओं के शासनकाल में चैत्र महीना गाने की परम्परा का निर्वाह नियमित रूप से करते थे जो अब घटता जा रहा है। ये सब से पहले राजाओं-महाराजाओं के यहां फिर मंत्रियों, राजदरबारियों के यहां, तत्पश्चात्‌ शिष्ट समाज के उच्च परिवारों में और
विस्‍तार से .....
यदि जिन्ना राष्‍ट्रवादी व सैकुलर हैं तो स्वयं जसवन्त सिंह क्या है?
अम्बा चरण वशिष्‍ठ
कोई आश्‍चर्य नहीं यदि कल को कोई महान् लेखक अपने शोध के आधार पर यह धमाका कर दे कि जलियांवाला बाग़ अमृतसर में हज़ारों निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या करने वाला जनरल डायर तो बहुत कोमल हृदय दयावान
विस्‍तार से .....
 
हिन्दी साहित्य और रहस्यवाद
ब्रजमोहन गुप्त
रहस्यवाद किसी भी प्रकार का हो, उसकी सीमा तक पहुंचने के लिये सृष्टि के अनेकत्व में एकत्व की अनुभूति प्राप्त करने के लिये जीवन में जबरदस्त साधना की आवश्यकता होती है। जिन साधना पथों पर भक्ति कालीन रहस्यवादी
विस्‍तार से .....
गोरखों का हिमाचल पर आक्रमण
डा. नवीन शर्मा
कांगड़ा और हण्डूर की संयुक्त सेना ने गोरखों द्वारा करण प्रकाश की सहायता के लिए भेजी गई सेना को सफल नहीं होने दिया। संभावना यही है कि इस घटना के पश्चात गोरखों ने संसार चंद से संधि
विस्‍तार से .....
 
समाज में आप, सर्वप्रिय कैसे हो सकते हैं?
सन्तराम
मैं भी उस पंक्ति में खड़ा था। मैंने देखा कि रजिस्टरी क्लर्क अपने काम-लिफाफे तोलने, टिकट देने, रेजगारी निकालने, रसीदें देने-से, प्रति वर्ष वही चक्की पीसते रहने से, तंग आ रहा था।
विस्‍तार से .....
संगीत द्वारा रोग-चिकित्सा
विश्वम्भर नाथ
हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को पुनरुज्जीवित करने की जो एक स्निग्ध एंव आश्चर्यजनक शक्ति संगीत में है, इस बात का प्रत्यक्ष अनुभव अब संसार के श्रेष्ठ चिकित्सकों को अस्पतालों और गवेषणालयों के प्रयोगों
विस्‍तार से .....
 
ट्रेजेडी हमें क्यों प्रिय लगती है?
 
मनुष्य का यह मर्त्य जीवन सुख और दुःख के उपादानों से गठित हुआ है, जिससे उसकी जीवन यात्रा में सुख-दुःख का क्रम प्रायः न्यूनाधिक रूप में चलता ही रहता है। न तो किसी के जीवन में एकान्त सुख ही होता है और
विस्‍तार से .....
अपनी अस्वस्थता से भी लाभ उठाइये
सन्तराम
कल ही आप खूब तन्दरुस्त और हृष्ट-पुष्ट थे, खूब उछल कूद कर रहे थे, अस्वस्थता का आपको विचार तक न था। रोग ने एकाएक आकर आपके घुटनों की चूलें ढीली कर दी और आपको खाट पर लिटा दिया। अब आप अस्पताल
विस्‍तार से .....
 
क्या हिन्दू विदेशी हैं?
नागेश्वर प्रसाद
श्चिमी विद्वान संसार भर के इतिहास में सृष्टि निर्माण से लेकर वर्तमान काल की घटनाओं तक नवीन छानबीन द्वारा ऐसी क्रान्ति ला रहे हैं कि इतिहास का कायापलट-सा हो रहा है। उनके द्वारा अनेक नवीन उपसिद्धांत स्थापित
विस्‍तार से .....
क्या राम ने भी अपनी मर्यादा को छोड़ा था?
 
हो सकता है कि कवि के श्रीराम को 'प्रजा के मन भावन' करने की इतनी प्रबल इच्छा हो कि एक निरपराध अबला जिसकी पवित्रता के बारे में उनको तनिक भी संदेह नहीं, एक प्रजा के नाते से भी उसका कुछ भी विचार न करके
विस्‍तार से .....